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कहीं कुछ दूर से कानों में पड़ती है उर्दू

कहीं कुछ दूर से कानों में पड़ती है उर्दू

तो लगता है,

दिन जाड़ों के हैं, खिड़की खुली है, धूप अन्दर आ रही है.

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कहीं कुछ दूर से कानों में पड़ती है उर्दू — Gulzar • ShayariPage