अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्तां आगे और भी है

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्तां आगे और भी है

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!

अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं

अभी तो किरदार ही बुझे हैं।

अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के

अभी तो एहसास जी रहा है।

यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है

यह लौ बचा लो यहीं से जुस्तजू फिर बगूला बन कर

यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को ले कर

कहीं तो अंजान-ए-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!