SHER•
ये न पूछ कितना जिया हूँ मैं ये न पूछ कैसे जिया हूँ मैं
ये न पूछ कितना जिया हूँ मैं ये न पूछ कैसे जिया हूँ मैं
कि अबद की आँख भी लग गई मेरे ग़म की शाम-ए-दराज़ में
ये न पूछ कितना जिया हूँ मैं ये न पूछ कैसे जिया हूँ मैं
कि अबद की आँख भी लग गई मेरे ग़म की शाम-ए-दराज़ में