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शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास

दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं

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शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास — Firaq Gorakhpuri • ShayariPage