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रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है

रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है

कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें

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रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है — Firaq Gorakhpuri • ShayariPage