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लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक

लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक

ऊँची है किस क़दर तिरी नीची निगाह भी

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लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक — Firaq Gorakhpuri • ShayariPage