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बिजली की तरह लचक रहे हैं लच्छे

बिजली की तरह लचक रहे हैं लच्छे

भाई के है बांधी चमकती राखी

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बिजली की तरह लचक रहे हैं लच्छे — Firaq Gorakhpuri • ShayariPage