ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस मेंFaiz Ahmad Faiz@faiz-ahmad-faizज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं