तूने देखी है वो पेशानी वो रुख़्सार वो होंठ
तूने देखी है वो पेशानी वो रुख़्सार वो होंठ
ज़िंदगी जिनके तसव्वुर में लुटा दी हमने
तुझपे उठी हैं वो खोई हुई साहिर आँखें
तुझको मालूम है क्यों उम्र गंवा दी हमने
तूने देखी है वो पेशानी वो रुख़्सार वो होंठ
ज़िंदगी जिनके तसव्वुर में लुटा दी हमने
तुझपे उठी हैं वो खोई हुई साहिर आँखें
तुझको मालूम है क्यों उम्र गंवा दी हमने