शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गईFaiz Ahmad Faiz@faiz-ahmad-faizशाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर संभल गई