SHER•5/19/2020न गुल खिले हैं, न उन से मिले, न मय पी हैBy Faiz Ahmad FaizLikeShareReportHindiEnglishन गुल खिले हैं, न उन से मिले, न मय पी है अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है