मगर गुज़ारनेवालों के दिन गुज़रते हैंFaiz Ahmad Faiz@faiz-ahmad-faizमगर गुज़ारनेवालों के दिन गुज़रते हैं तेरे फ़िराक़ में यूँ सुबह-ओ-शाम करते हैं