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इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा

इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा

इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए

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इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा — Faiz Ahmad Faiz • ShayariPage