गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा

गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा

गर जीत गए तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं