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अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें

अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें

रहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम

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अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें — Faiz Ahmad Faiz • ShayariPage