Shayari Page
NAZM

"अंजाम"

"अंजाम"

हैं लबरेज़ आहों से ठंडी हवाएँ

उदासी में डूबी हुई हैं घटाएँ

मोहब्बत की दुनिया पे शाम आ चुकी है

सियह-पोश हैं ज़िंदगी की फ़ज़ाएँ

मचलती हैं सीने में लाख आरज़ुएँ

तड़पती हैं आँखों में लाख इल्तिजाएँ

तग़ाफ़ुल की आग़ोश में सो रहे हैं

तुम्हारे सितम और मेरी वफ़ाएँ

मगर फिर भी ऐ मेरे मासूम क़ातिल

तुम्हें प्यार करती हैं मेरी दुआएँ

Comments

Loading comments…