नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं


जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है

सब उन को सुनाने के दिन आ रहे हैं


अभी से दिल ओ जाँ सर-ए-राह रख दो

कि लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं


टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती

निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं


सबा फिर हमें पूछती फिर रही है

चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं


चलो 'फ़ैज़' फिर से कहीं दिल लगाएँ

सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं