हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी

हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी

ज़ब्त का हौसला नहीं बाक़ी


इक तिरी दीद छिन गई मुझ से

वर्ना दुनिया में क्या नहीं बाक़ी


अपनी मश्क़-ए-सितम से हाथ न खींच

मैं नहीं या वफ़ा नहीं बाक़ी


तेरी चश्म-ए-अलम-नवाज़ की ख़ैर

दिल में कोई गिला नहीं बाक़ी


हो चुका ख़त्म अहद-ए-हिज्र-ओ-विसाल

ज़िंदगी में मज़ा नहीं बाक़ी