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उसकी जुल्फ़ें उदास हो जाए

उसकी जुल्फ़ें उदास हो जाए

इस-क़दर रोशनी भी ठीक नहीं

तुमने नाराज़ होना छोड़ दिया

इतनी नाराज़गी भी ठीक नहीं

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उसकी जुल्फ़ें उदास हो जाए — Fahmi Badayuni • ShayariPage