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GHAZAL

तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ

तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ

मैं तुम से क्या छुपाना चाहता हूँ

कभी मुझ से भी कोई झूठ बोलो

मैं हाँ में हाँ मिलाना चाहता हूँ

ये जो खिड़की है नक़्शे में तुम्हारे

यहाँ मैं दर बनाना चाहता हूँ

अदाकारी बहुत दुख दे रही है

मैं सच-मुच मुस्कुराना चाहता हूँ

परों में तीर है पंजों में तिनके

मैं ये चिड़िया उड़ाना चाहता हूँ

लिए बैठा हूँ घुंघरू फूल मोती

तिरा हँसना बनाना चाहता हूँ

अमीरी 'इश्क़ की तुम को मुबारक

मैं बस खाना-कमाना चाहता हूँ

मैं सारे शहर की बैसाखियों को

तिरे दर पर नचाना चाहता हूँ

मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा

मैं तुमको याद आना चाहता हूँ

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