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GHAZAL

ख़त लिफ़ाफ़े में ग़ैर का निकला

ख़त लिफ़ाफ़े में ग़ैर का निकला

उस का क़ासिद भी बे-वफ़ा निकला

जान में जान आ गई यारो

वो किसी और से ख़फ़ा निकला

शेर नाज़िम ने जब पढ़ा मेरा

पहला मिस्रा ही दूसरा निकला

फिर उसी क़ब्र के बराबर से

ज़िंदा रहने का रास्ता निकला

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ख़त लिफ़ाफ़े में ग़ैर का निकला — Fahmi Badayuni • ShayariPage