जाहिलों को सलाम करना है

जाहिलों को सलाम करना है

और फिर झूट-मूट डरना है


काश वो रास्ते में मिल जाए

मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है


पूछती है सदा-ए-बाल-ओ-पर

क्या ज़मीं पर नहीं उतरना है


सोचना कुछ नहीं हमें फ़िलहाल

उन से कोई भी बात करना है


भूक से डगमगा रहे हैं पाँव

और बाज़ार से गुज़रना है