तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
तुझे हर बहाने से हम देखते हैं
हमारी तरफ़ अब वो कम देखते हैं
वो नज़रें नहीं जिन को हम देखते हैं
ज़माने के क्या क्या सितम देखते हैं
हमीं जानते हैं जो हम देखते हैं
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
तुझे हर बहाने से हम देखते हैं
हमारी तरफ़ अब वो कम देखते हैं
वो नज़रें नहीं जिन को हम देखते हैं
ज़माने के क्या क्या सितम देखते हैं
हमीं जानते हैं जो हम देखते हैं