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वैसे तो उसका नाम नहीं हाफ़िज़े में अब

वैसे तो उसका नाम नहीं हाफ़िज़े में अब

मुमकिन है रूबरू जो कभी हो, पुकार दूँ

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वैसे तो उसका नाम नहीं हाफ़िज़े में अब — Bhaskar Shukla • ShayariPage