ना तो कुछ सुनते हैं ना ही बोल कुछ पाते हैं हम
ना तो कुछ सुनते हैं ना ही बोल कुछ पाते हैं हम
सामने उनके सरापा आँख हो जाते हैं हम
वो निगाहें इन निगाहों से कभी हटती नहीं
वरना कितनी ही निगाहें हैं जिन्हें भाते हैं हम
ना तो कुछ सुनते हैं ना ही बोल कुछ पाते हैं हम
सामने उनके सरापा आँख हो जाते हैं हम
वो निगाहें इन निगाहों से कभी हटती नहीं
वरना कितनी ही निगाहें हैं जिन्हें भाते हैं हम