शोर में आवाज़ मुदग़म क्यों करें
शोर में आवाज़ मुदग़म क्यों करें
कर रहे हैं जो सभी हम क्यों करें
सरफ़रोशी की तमन्ना है हमें
ज़ुल्म के आगे नज़र ख़म क्यों करें
रौशनी के वास्ते जल जायें हम
तीरगी का ख़ैर-मक़्दम क्यों करें
रास्ता हमने चुना है सोचकर
मुश्किलें तो आयेंगी, ग़म क्यों करें
ये तिरंगा ही हमारी शान है
हम इसे यकरंग परचम क्यों करें
आप अपनी नफ़रतें कम कीजिये
हम मोहोब्बत को भला कम क्यों करें