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GHAZAL

शोर में आवाज़ मुदग़म क्यों करें

शोर में आवाज़ मुदग़म क्यों करें

कर रहे हैं जो सभी हम क्यों करें

सरफ़रोशी की तमन्ना है हमें

ज़ुल्म के आगे नज़र ख़म क्यों करें

रौशनी के वास्ते जल जायें हम

तीरगी का ख़ैर-मक़्दम क्यों करें

रास्ता हमने चुना है सोचकर

मुश्किलें तो आयेंगी, ग़म क्यों करें

ये तिरंगा ही हमारी शान है

हम इसे यकरंग परचम क्यों करें

आप अपनी नफ़रतें कम कीजिये

हम मोहोब्बत को भला कम क्यों करें

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