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GHAZAL

कुछ एक की हम जैसी क़िस्मत होती है

कुछ एक की हम जैसी क़िस्मत होती है

बाकी सब की अच्छी क़िस्मत होती है

ख़्वाहिश सब रखते हैं तुझको पाने की

और फिर अपनी अपनी क़िस्मत होती है

ख़्वाबों में तो दिख जाते हैं कम-अज़-कम

दिन से अच्छी शब की क़िस्मत होती है

उनकी गलियों में जाकर अहसास हुआ

गलियों गलियों की भी क़िस्मत होती है

उसने मुझको हँसकर देखा है यारा

मैं ये समझूँ यानी..क़िस्मत होती है

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कुछ एक की हम जैसी क़िस्मत होती है — Bhaskar Shukla • ShayariPage