SHER•6/24/2020शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा हैBy Bashir BadrLikeShareReportHindiEnglishशोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है