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शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है

जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

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शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है — Bashir Badr • ShayariPage