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SHER

साथ चलते जा रहे हैं पास आ सकते नहीं

साथ चलते जा रहे हैं पास आ सकते नहीं

इक नदी के दो किनारों को मिला सकते नहीं

उसकी भी मजबूरियाँ हैं मेरी भी मजबूरियाँ

रोज़ मिलते हैं मगर घर में बता सकते नहीं

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साथ चलते जा रहे हैं पास आ सकते नहीं — Bashir Badr • ShayariPage