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नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं

नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं

ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे

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