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लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे

लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे

जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ

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लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे — Bashir Badr • ShayariPage