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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी — Bashir Badr • ShayariPage