SHER•1/25/2021कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझाBy Bashir BadrLikeShareReportHindiEnglishकभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है