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इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी

इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी

लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे

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इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी — Bashir Badr • ShayariPage