NAZM•
"तसल्ली"
"तसल्ली"
तसल्ली अब भी ज़िन्दा है मगर अफ़्सोस इतना है
न खुल बात करती है न ज़्यादा साँस लेती है
फ़क़त दीमक-ज़दा वीरान कमरे और
तन्हा तीरगी में सर झुकाए साँस लेती है
किसी ख़ुश-बास मौसम में
ख़मोशी तोड़ती है बोलती है गुनगुनाती है
ओ मेरे यार ग़म मत कर
वो इक दिन लौट आएगी तुझे अपना बनाएगी
बिताए चार सालों में नए मौसम नहीं देखे
नई ख़्वाहिश नहीं उट्ठी
नया कब साल आता है
ये सारे ही पुराने हैं
वही दीमक-ज़दा वीरान कमरा
वही आग़ोश में बैठी उदासी
तसल्ली के तमाशे ने तमाशा कर दिया मुझको
तसल्ली के तमाशे मुझसे अब देखे नहीं जाते
अमाँ ये जानलेवा है तसल्ली
तेरे वादे की बेवा है तसल्ली