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NAZM

"तैयब"

"तैयब"

वो अक्सर मुझसे कहती थी

सुनो जब हम बड़े होंगे

हम अपना घर बसाएँगे

तो अपने बेटे को हम प्यार से तैयब बुलाएँगे

अभी कुछ दिन ही बीते थे कि तैयब आ गया इक दिन

ये तैयब वो नहीं था जो मेरे ख़्वाबों का हिस्सा था

ये तैयब वो था जो उसकी यादों में रहता था

नहीं समझे हो जो अब भी सुनो तुमको मैं समझाऊँ

मैं अपनी पहली मोहब्बत का दूजा इश्क़ था प्यारे

सुना है अब वो कहती है सुनो तैयब सुनो तैयब

कहो तो अपने बेटे को आनंद पुकारें अब

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