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NAZM

"ताबीरों की लाश"

"ताबीरों की लाश"

हमने भी कुछ ख़्वाब बुने थे

ख़्वाब हमारे गिने चुने थे

ख़्वाबों में कब मैं होता था तुम होते थे

ख़्वाबों में जब भी होते थे हम होते थे

ख़्वाबों में आँगन देखा था

प्यारा सा सावन देखा था

ताबीरों पर बात हुई थी

देखो किचन की बाईं जानिब

शिव जी का मंदिर रखना है

मैंने शायद मना किया था

रूठ गई थी झगड़ पड़ी थी ख़ूब लड़ी थी

तुम्हें पता है जिस कमरे में मैं रहता हूँ

वो कमरा अब भरा पड़ा है

ख़्वाब तो ज़ाया हो जाते हैं

ताबीरों की लाश पड़ी है

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