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GHAZAL

ख्वाब तुम्हारे आते हैं इतराते हैं

ख्वाब तुम्हारे आते हैं इतराते हैं

हम जब जब सो जाते हैं इतराते हैं

उस पर मरने वाले जितने लड़के हैं

मुझसे मिलने आते हैं इतराते हैं

सरकारी दफ्तर में बेटा नौकर है

पापा मिलकर आते हैं इतराते हैं

हम तो खामोशी में डूबे हैं लेकिन

ज़ख़्म हमारे गाते हैं इतराते हैं

मैं ऐसा ग़ुमनाम हुआ हूँ लोग मुझे

मेरा शेर सुनाते हैं इतराते हैं

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