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GHAZAL

ख्वाब के ही हम सहारे चल रहे हैं

ख्वाब के ही हम सहारे चल रहे हैं

ज़ख्म को भी गुदगुदाते चल रहे हैं

क्या बताएं अब तुम्हें हम हाल अपना

हिज्र में कैसे दीवाने चल रहे हैं

दरिया की तन्हाई का तो सोचिये

साथ जिसके दो किनारे चल रहे हैं

तुमको क्या लगता है तन्हा चल रहा हूँ

साथ मेरे चाँद तारे चल रहे हैं

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