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GHAZAL

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ

हर अँधेरा रूह का उजला हुआ

धूप ने साये खरोंचे इस क़दर

ज़िन्दगी का रंग चितकबरा हुआ

यार ये तुकबंदियाँ क्यों कर भला

शायरी करते थे उसका क्या हुआ

बदहवासी दूर तक फैली हुई

मैं कि बच्चा भीड़ में खोया हुआ

वो यक़ीनन आ गए हैं लौट कर

वर्ना कैसे शहर सतरंगा हुआ

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ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ — Anand Raj Singh • ShayariPage