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इक और किताब ख़त्म की फिर उस को फाड़ कर

इक और किताब ख़त्म की फिर उस को फाड़ कर

काग़ज़ का इक जहाज़ बनाया ख़ुशी हुई

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इक और किताब ख़त्म की फिर उस को फाड़ कर — Ameer Imam • ShayariPage