है एक लाश की सूरत पड़ी हुई दुनिया

है एक लाश की सूरत पड़ी हुई दुनिया

सलीब-ए-वक़्त के ऊपर जड़ी हुई दुनिया


हम ऐसे लोग ही ख़ुराक थे सदा इसकी

हमारे ख़ून को पीकर बड़ी हुई दुनिया


तमाम उम्र भी दौड़ो न हाथ आएगी

अजीब शय है ये साकित खड़ी हुई दुनिया


हर एक शख़्स है पीछे पड़ा हुआ इसके

हर एक शख़्स के पीछे पड़ी हुई दुनिया


जदीद शेर की सूरत जदीद शाइर के

जदीद होने की ज़िद पर अड़ी हुई दुनिया


हसीन लड़कियाँ ख़ुशबूएँ चाँदनी रातें

और इनके बाद भी ऐसी सड़ी हुई दुनिया


'अमीर इमाम' ने कूड़े में फेंक दी कब की

जिसे तलब हो उठा ले पड़ी हुई दुनिया