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GHAZAL

आग के साथ मैं बहता हुआ पानी सुनना

आग के साथ मैं बहता हुआ पानी सुनना

रात-भर अपने अनासिर की सुनानी सुनना

देखना रोज़ अँधेरों में शुआ'ओं की नुमू

पत्थरों में किसी दरिया की रवानी सुनना

वो सुनाएँगी कभी मेरी कहानी तुम को

तुम हवाओं से कभी मेरी कहानी सुनना

मेरी ख़ामोशी मिरी मश्क़ है इस मश्क़ में तुम

मार कर तीर मिरी तिश्ना-दहानी सुनना

उम्र ना-काफ़ी है इस हिज्रत-ए-अव्वल के लिए

फिर जनम लूँ तो मिरी हिजरत-ए-सानी सुनना

कम-सिनी पर है अजब हाल तुम्हारा यारो

सुन लो आसान नहीं उस की जवानी सुनना

गीत मेरे जो पसंद आते हैं इतने तुम को

इन्हीं गीतों की कभी मर्सिया-ख़्वानी सुनना

क्या नया तुम को सुनाऊँ कि नया कुछ भी नहीं

नए लफ़्ज़ों में वही बात पुरानी सुनना

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