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तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

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तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ — Allama Iqbal • ShayariPage