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सौ सौ उमीदें बँधती है इक इक निगाह पर

सौ सौ उमीदें बँधती है इक इक निगाह पर

मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई

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सौ सौ उमीदें बँधती है इक इक निगाह पर — Allama Iqbal • ShayariPage