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नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त

नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त

ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना

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