SHER•4/21/2025नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़तBy Allama IqbalLikeShareReportHindiEnglishनहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़तये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना