जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी Allama Iqbal@allama-iqbalजिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो