SHER•11/21/2020जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ीBy Allama IqbalLikeShareReportHindiEnglishजिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो