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ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें

जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें

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ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें — Allama Iqbal • ShayariPage