SHER•4/21/2025आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहींBy Allama IqbalLikeShareReportHindiEnglishआँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहींमहव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी