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GHAZAL

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ

यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं

क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर

चमन और भी आशियाँ और भी हैं

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म

मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं

इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा

कि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में

यहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं

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